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पत्रकार मुकेश चंद्रकार को मारने वाला मुख्य आरोपी सुरेश चंद्रकार को गिरफ्तार

पत्रकार मुकेश चंद्रकार की पीएम रिपोर्ट आ गई है। इससे साफ है कि पत्रकार को आरोपियों ने तड़पा-तड़पाकर मारा है। वहीं मामले के मुख्य आरोपी सुरेश चंद्रकार को गिरफ्तार कर लिया गया है।
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2025-01-07 13:39:07

रायपुर : पत्रकार मुकेश चंद्रकार की हत्या का मुख्य आरोपी को हैदराबाद से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही मुकेश चंद्रकार की पीएम रिपोर्ट आ गई है। इस रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पीएम रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि मुकेश चंद्रकार की हत्या कितनी बेरहमी से किया गया है। पत्रकार की हालत देखकर डॉक्टर के भी होश उड़ गए थे। पीएम रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि पत्रकार मुकेश चंद्रकार के लीवर के चार टुकड़े थे। यही नहीं, उस जगह पर बुलाकर आरोपियों ने पत्रकार मुकेश चंद्रकार की बेरहमी से पिटाई की गई थी। पीएम रिपोर्ट से पता चलता है कि कई लोगों ने क्रूरता के साथ मुकेश चंद्रकार की हत्या की है। पहले आरोपियों ने जमकर पत्रकार को तड़पाया है। फिर उसकी हत्या की है। पीएम रिपोर्ट में यह बात साफ है कि उसके पांच पसलियों को तोड़ दिया है।आरोपियों ने पत्रकार के सीने पर भी प्रहार किया है। पीएम रिपोर्ट के अनुसार पत्रकार मुकेश चंद्रकार का हार्ट फटा हुआ था। डॉक्टरों के अनुसार हार्ट के चिथड़े उड़े हैं। पिटाई के दौरान आरोपियों ने पत्रकार के हर हिस्से पर किसी भारी हथियार से वार किया है। इसके साथ ही पत्रकार के सिर पर 15 चोट के निशान मिले हैं। पूरी तरह से सिर क्षतिग्रस्त था। सिर की हड्डियां पूरी तरह से टूट चुकी थीं। इसके साथ ही आरोपियों ने पत्रकार मुकेश चंद्रकार की गर्दन की हड्डी भी तोड़ दी थी। वहीं, जिस अस्पताल में पत्रकार मुकेश चंद्रकार का पोस्टमार्टम हुआ है, वहां के डॉक्टर ने कहा कि 12 साल के करियर में हमने ऐसा केस नहीं देखा है। पत्रकार की हत्या काफी बेरहमी पूर्वक किया गया है। शरीर की हालत देखकर लग रहा है कि पत्रकार को कितना तड़पाया गया होगा। पुलिस ने मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर को हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया है। एसआईटी ने उसे गिरफ्तार किया है। पुलिस उसे लेकर छत्तीसगढ़ आ रही है। आरोपी सुरेस चंद्राकर एक ठेकेदार है। उससे पूछताछ के बाद ही हत्या की वजहों का खुलासा होगा। वहीं, मुकेश चंद्रकार के परिजनों का कहना है कि पत्रकार ने ठेकेदार के भ्रष्टाचार को उजागर किया था। पत्रकार मुकेश चंद्रकार की हत्या के मामले में एसआईटी ने मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर को हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया है। वह पत्रकार की हत्या के बाद हैदराबाद में जाकर छुप गया था। पुलिस ने शव मिलने के बाद पहले तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद सुरेश चंद्राकर की तलाश की जा रही थी। बीजापुर एसआईटी ने सुरेश चंद्राकर को हैदराबाद से हिरासत में लिया है। वह पत्रकार मुकेश चंद्रकार का चचेरा भाई है। पुलिस ने उसकी तस्वीरें जारी की है। मुकेश चंद्रकार की हत्या की जांच के लिए पुलिस ने एसआईटी बनाई है। एसआईटी ने सुरेश चंद्राकर को बनियान में ही गिरफ्तार किया है। पुलिस की तरफ से उसकी गिरफ्तारी का वीडियो जारी किया है। उसमें दिख रहा है कि सुरेश के हाथ में हथकड़ी लगी है। साथ ही बदन पर सिर्फ बनियान ही है। इससे साफ है कि सुरेश को कमरे से सोते वक्त गिरफ्तार किया गया होगा। गिरफ्तारी के बाद पुलिस की टीम उसे बीजापुर लेकर आ रही है। इस दौरान वह पुलिस की गाड़ी में बैठा हुआ है। कपड़े और जैकेट में उसके पसीने छूट रहे हैं। सुरेश चंद्राकर के चेहरे से पसीना बह रहा था। उसकी साजिश अब बेनकाब हो रही है। बताया जा रहा है कि सुरेश ही इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड है। साथ ही उसके सियासी संबंध भी अच्छे हैं। एसआईटी इंचार्ज मयंक गुर्जर ने बताया कि आरोपी को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले तीन अन्य आरोपी रितेश चंद्राकार, दिनेश चंद्राकार और महेंद्र को गिरफ्तार किया गया था। मामले की विस्तार से जांच जारी है। उन्होंने कहा कि यहां लाकर पूछताछ की जाएगी।

सड़क निर्माण में कथित भ्रष्टाचार की चलाई थी ख़बर

दिसंबर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने माओवाद प्रभावित इलाकों में सड़क निर्माण में हो रहे कथित भ्रष्टाचार पर एक ख़बर चलाई थी। इस ख़बर के बाद राज्य सरकार ने सड़क निर्माण के उस ठेके पर जांच बैठाई थी। यूकेश ने मीडिया से कहा, ठेकेदार सुरेश चंद्राकर की ओर से बनवाई गई सड़क के निर्माण में भ्रष्टाचार की एक ख़बर एनडीटीवी पर प्रसारित हुई थी। जिसके बाद राज्य सरकार ने इस मामले की जांच की घोषणा की थी। भाई के लापता होने के बाद हमने उनके लैपटॉप पर मोबाइल का अंतिम लोकेशन देखा तो वह ठेकेदार दिनेश चंद्राकर, सुरेश चंद्राकर और रितेश चंद्राकर के मज़दूरों के लिए बनाए गए कैंपस में नज़र आ रहा था. इसलिए मैं आशंकित हुआ। यूकेश ने पुलिस में दर्ज रिपोर्ट में ठेकेदार दिनेश चंद्राकर, सुरेश चंद्राकर और रितेश चंद्राकर की ओर से मुकेश को नुक़सान पहुंचाने की आशंका भी जताई थी। इस घटना के बाद कांग्रेस और बीजेपी ने एक-दूसरे पर निशाना साधा था। सुरेश चंद्राकर के कांग्रेस से जुड़े होने की वजह से बीजेपी ने पार्टी पर निशाना साधा है। वहीं कांग्रेस क़ानून व्यवस्था के हवाले से बीजेपी की निंदा कर रही है।

कौन है पत्रकार मुकेश चंद्रकार

मुकेश चंद्रकार का परिवार 2005 में सलवा जुडूम से प्रभावित होकर आवापल्ली और फिर बीजापुर आए थे। मुकेश कहते थे कि सलवा जुडूम शुरू हुआ तो आवापल्ली के रिफ्यूजी कैंप में टेंट लगाकर रहते थे। बहुत तकलीफ होती थी। उसके बाद बीजापुर आ गए। बचपन में गैरेज में काम करता था ताकि घर चला सके। रहने के लिए घर भी नहीं था।

क्या है सलवा जुडूम

सलवा जुडूम 2005 में तत्कालीन बीजेपी सरकार द्वारा शुरू किया गया एक मिशन था। इसका उद्देश्य नक्सलवादियों से लड़ने के लिए स्थानीय आदिवासियों को संगठित करना था। सलवा जुडूम का मतलब शांति यात्रा था, लेकिन इसके दौरान कई गंभीर आरोप लगाए गए। सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया ने एक रिपोर्ट के दौरान सलवा जुडूम के समय की घटनाओं के बारे में बात करते हुए बताया कि गांवों को जलाया गया, सुरक्षा कर्मियों ने मारपीट की, लोगों से लूटपाट की, लड़कियों के साथ बलात्कार हुआ और 100 से अधिक लोगों की हत्या की गई। इस दौरान स्थानीय लोगों को पुलिस कैंपों और रिफ्यूजी कैंपों में रहने के लिए मजबूर किया गया। सलवा जुडूम पर विवाद बढ़ने के बाद यह मामला 2012 में सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक घोषित किया और सलवा जुडूम को बंद करने का आदेश दिया।

मुकेश चंद्रकार की पत्रकारिता

बासागुड़ा जैसे इलाकों में अगर कोई 10वीं भी पास कर ले तो गर्व महसूस होता है। तमाम चुनौतियों के बाद मुकेश चंद्रकार ने पत्रकारिता में नए मुकाम हासिल किए। मुकेश चंद्रकार ने बहुत मुश्किलों से पढ़ाई की और अपने बड़े भाई यूकेश चंद्रकार के साथ पत्रकारिता शुरू की थी। पत्रकारिता उन्होंने न्यूज 18 से शुरू की थी और इसके बाद कई मीडिया संस्थानों के लिए बड़ी-बड़ी स्टोरी की।

बस्तर जंक्शन की शुरुआत

थमीर कहते हैं कि मुकेश चंद्रकार ने बताया था, न्यूज चैनल यहां की खबरों को जिस तरह से जगह देनी चाहिए, नहीं देते। या बड़ी अच्छी रिपोर्ट को काटकर चला देते हैं। इसलिए बस्तर जंक्शन की शुरुआत की ताकि बस्तर की आवाज को अच्छे से उठा सकूं। बस्तर जंक्शन को डेढ़ लाख से अधिक सब्सक्राइबर तक अकेले ही पहुंचाया। शुरू में मोबाइल से एडिटिंग करते थे, फिर लैपटॉप से। मुकेश कहते थे कि बीजापुर आने पर भाई, एडिटिंग सिखा देना। हमेशा कोई नई स्टोरी करने के बाद लोगों से यह पूछते थे कि क्या बेहतर हो सकता था, और फिर बेहतर करने की कोशिश करते थे। बीजापुर से कोई फोटो चाहिए तो मैं मुकेश भैया को फोन करता था। बस्तर या किसी भी ग्राउंड की खबर को सबसे पहले मुकेश भैया जैसे स्थानीय पत्रकार कवर करते हैं। बाद में वह खबर बड़ी बनती है। फिर उन बड़ी स्टोरीज़ पर अवार्ड मिलते हैं, लेकिन जिनकी मूल स्टोरी होती है, वह पत्रकार गुमनाम हो जाता है।

पोस्ट डिलीट करने का बनाया था दबाव थमीर कहते हैं कि एक बार मैंने मुकेश चंद्रकार से सिलगेर में चल रहे आंदोलन के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि मैंने सिलगेर के आंदोलन के बारे में पहली बार ट्विटर पर पोस्ट किया, तो मुझे प्रशासन की ओर से पोस्ट डिलीट करने के लिए दबाव डाला गया। लेकिन मैंने उसे डिलीट नहीं किया क्योंकि मैं तो रिपोर्टिंग यहां के लोगों के लिए कर रहा था। मैंने कभी रिपोर्टिंग को लेकर समझौता नहीं किया।

बीजापुर के धुरंधर रिपोर्टर थे

मुकेश चंद्रकार का गांव बासागुड़ा है। मुकेश चंद्रकार ने सलवा जुडूम को बहुत करीब से देखा था। बासागुड़ा वही इलाका है जहां के पास सारकेगुड़ा गांव में 2012 में सुरक्षाकर्मियों ने 17 आदिवासियों को मार डाला था। मुकेश चंद्रकार बीजापुर के धुरंधर रिपोर्टर थे। बस्तर से आदिवासियों की खबरों को प्रमुखता से कवर करते थे।

हमले और भ्रष्टाचार की स्टोरी

बीते दो-तीन साल पहले रावघाट परियोजना पर रिपोर्टिंग करते समय गुंडों ने हमला किया था। उनकी कार पर भी हमला किया था। इसके बाद मुकेश चंद्रकार पुलिस अधीक्षक ऑफिस शिकायत करने गए थे, लेकिन पुलिस ने इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की। मुकेश चंद्रकार अपनी जाबांज रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते थे। हमेशा अपने यूट्यूब चैनल में लोगों के हितों की बात करते थे, जिससे सरकार को उनकी बात अच्छी नहीं लगती थी। मुकेश चंद्रकार ने सड़क निर्माण में हुए भ्रष्टाचार का खुलासा किया था।

सीआरपीएफ जवान को छुड़ाया था मुकेश ने

वहीं 2021 में नक्सलियों द्वारा अगवा किए गए सीआरपीएफ के जवान को छुड़ाने में मुकेश चंद्रकार का बहुत बड़ा योगदान था। सुरेश चंद्रकार कुछ साल पहले सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने अपनी शादी में 10 करोड़ रुपये खर्च किए थे। वहीं लगभग 40-50 नाचने वाली लड़कियों को विदेश से मंगवाया था। बीते दो साल पहले कई स्थानीय न्यूज पेपरों ने सुरेश चंद्रकार के भ्रष्टाचार की खबरें उजागर की थीं, लेकिन सुरेश चंद्रकार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन इस बार ठेकेदार सुरेश चंद्रकार ने मुकेश चंद्रकार की हत्या करवा दी। रायपुर या बस्तर जिला मुख्यालय से कोई भी पत्रकार बीजापुर जाता था तो सबके रुकने का ठिकाना मुकेश भैया का घर होता था। कहीं अगर बाहर रुकते, तो मुकेश भैया गरियाने लगते थे, भाई, मेरा रूम है, इधर-उधर क्यों रुकते हो?

क्या है पूरा मामला

छत्तीसगढ़ के बीजापुर के स्वतंत्र पत्रकार और बस्तर जंक्शन के संपादक 28 साल के युवा मुकेश चंद्रकार की बीते एक तारीख को हत्या कर दी गई। हत्या के बाद उनके शव को सेप्टिक टैंक में डालकर ऊपर से प्लास्टर कर दिया गया। ठेकेदार सुरेश चंद्रकार ने मिरतुर से गंगालूर के बीच सड़क बनाने का ठेका लिया था, लेकिन सड़क अधूरी बनने के बाद भी प्रशासन ने 90% से अधिक भुगतान कर दिया। इसी मामले को मुकेश चंद्रकार ने उजागर किया था।

पुलिस ने तीन आरोपियों को दबोचा

इससे पहले मुकेश चंद्रकार के भाई यूकेश चंद्रकार ने अपने भाई की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने ईमेल आईडी के आधार पर लोकेशन ट्रेस किया। यह लोकेशन ठेकेदार सुरेश चंद्रकार के बैडमिंटन कोर्ट के परिसर का दिखाया। पुलिस को ढलाई किए हुए सेप्टिक टैंक पर शक हुआ और वहां मुकेश चंद्रकार की लाश मिली। अब तक मुकेश चंद्रकार की हत्या के मुख्य आरोपी रितेश चंद्रकार और उसके दो साथियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। ठेकेदार सुरेश चंद्रकार को भी जल्द गिरफ्तार करने का पुलिस दावा कर रही है।

कौन हैं ठेकेदार सुरेश चंद्राकर

पुलिस ने जिस ठेकेदार सुरेश चंद्राकर को गिरफ़्तार किया है वो बस्तर में सरकारी निर्माण कार्यों और माइनिंग से जुड़े बड़े ठेकेदारों में शुमार हैं। वो छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के राज्य उपाध्यक्ष भी हैं। उन्हें कुछ महीने पहले हुए महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने नवापुर विधानसभा का आब्ज़र्वर भी बनाया था। माओवादियों के ख़िलाफ़ पुलिस संरक्षण में शुरू किए गए सलवा जुड़ूम अभियान में शामिल रहे सुरेश चंद्राकर बेहद ग़रीब परिवार में पैदा हुए लेकिन पिछले कुछ सालों में ही माओवाद प्रभावित इलाकों में सरकारी निर्माण कार्यों का ठेका लेकर वे बस्तर के शीर्ष ठेकेदरों में शुमार होने लगे। 40 साल के सुरेश चंद्राकर पहली बार 23 दिसंबर 2021 को तब चर्चा में आए, जब 73 प्रतिशत आदिवासी आबादी वाले बीजापुर में उन्होंने शाही अंदाज़ में अपनी शादी की। उन्होंने होने वाली पत्नी के लिए ससुराल तक आने के लिए निजी हेलीकॉप्टर का इंतज़ाम किया था। इसके अलावा बीजापुर जैसी जगह में उन्होंने अपने विवाह समारोह में नाच-गाने के लिए रूसी डांसर्स के दल को बुलाया था। विवाह के अगले दिन उन्होंने बीजापुर के स्टेडियम में दावत दी थी. कहा जाता है कि बस्तर में इससे पहले कभी ऐसी शाही अंदाज़ वाली शादी नहीं हुई थी। इस विवाह समारोह की तस्वीरें और वीडियो क्लिप सोशल मीडिया में ख़ूब वायरल हुए थे।

संवाददाता : रमण श्रीवास्तव

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