2024-11-24 07:42:58
नई दिल्ली : 10 नवंबर 2020 को मुंबई में जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भाजपा का घोषणापत्र जारी किया तो पार्टी के दो सीनियर लीडर्स मंच पर रहने की बजाए दर्शकों की पंक्तियों में बैठने को चुना। वैसे ये कोई पहली दफा नहीं था, बल्कि हमेशा दो केंद्रीय मंत्रियों, भूपेन्द्र यादव और अश्विनी वैष्णव की शैली रही है। दोनों ही भाजपा के लिए महाराष्ट्र चुनाव के क्रमशः प्रभारी और सह-प्रभारी की भूमिका में रहे। बेहद ही कम बोलने वाले और पर्दे के पीछे रहकर काम करना जिनकी फितरत रही है। दोनों ने ही कई हफ्तों तक मुंबई में डेरा डाले रहे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भाजपा की रणनीति को ग्राउंड लेवल पर उतारा जा सके। इसके साथ ही जो रुठे हैं उन्हें भी साथ लाया जा सके। लोकसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी ने दोनों को ही जून में महाराष्ट्र का प्रभारी बनाया था। अभियान रणनीतिकारों-सह-प्रबंधकों ने मध्य प्रदेश को पार्टी की झोली में डालकर एक बार फिर अपनी क्षमता साबित की है। यादव और वैष्णव को बीजेपी सरकार व राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में बेहतरीन स्टाइक रेट देने वाले के रूप में देखती है। चुनावी रणनीतिकार के रूप में यादव का पुराना इतिहास रहा है। उन्होंने उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों को भाजपा की झोली में डाला, वहीं वैष्णव सह-प्रभारी के रूप में पार्टी के लिए मध्य प्रदेश में जीत हासिल करने के बाद सुर्खियों में आए हैं। वास्तव में, यह यादव और वैष्णव की वही हिट टीम है, जिसे पिछले साल मध्य प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जब पार्टी लगभग दो दशकों तक शासन कायम रखने के बाद राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करती दिख रही थी। कई राजनीतिक पंडित प्रचार अभियान की शुरुआत में मध्य प्रदेश में भी भाजपा को 60 से अधिक सीटों का अनुमान लगा रहे थे। लेकिन अंततः बीजेपी विधानसभा की कुल 230 सीटों में से 163 सीटों के बड़े बहुमत के साथ राज्य की सत्ता में आई। लोकसभा चुनाव में पार्टी की फजीहत के बाद फिर इसी टीम को महाराष्ट्र की जिम्मेदारी दी गई। महाराष्ट्र के परिणाम मध्य प्रदेश की जीत की याद दिला रहे हैं। 288 सीटों की विधानसभा में जहां एनडीए ने महाराष्ट्र में 215 सीटों को पार कर लिया है। महाराष्ट्र वास्तव में बहुत बड़ी जीत है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि यादव और वैष्णव अब भी जीत के लिए कोई श्रेय लेने की होर में नजर नहीं आएंगे। पार्टी को लगता है कि जमीन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील और उनके हिट नारे एक हैं तो सेफ हैं को देखते हुए सिपहसालारों ने जीत हासिल की है। लेकिन पार्टी के लिए ओबीसी को एकजुट करना, किसानों के लिए ऋण माफी का वादा करना और लड़की बहन योजना पर अभियान को बढ़ावा देना जैसे कुछ प्रमुख इनपुट निर्णायक साबित हुए। कहा जाता है कि उन्हें यादव-वैष्णव जोड़ी ने आगे बढ़ाया है।