2024-11-28 18:53:51
मानव तस्करी एक वैश्विक समस्या है और दुनिया के सबसे शर्मनाक अपराधों में से एक है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करता है और उनकी गरिमा को छीनता है। तस्कर दुनिया के सभी कोनों से महिलाओं, पुरुषों और बच्चों को धोखा देते हैं और उन्हें हर दिन शोषणकारी परिस्थितियों में धकेलते हैं। जबकि मानव तस्करी का सबसे प्रसिद्ध रूप यौन शोषण के उद्देश्य से है, सैकड़ों हज़ारों पीड़ितों को जबरन श्रम, घरेलू दासता, बाल भीख मांगने या उनके अंगों को निकालने के उद्देश्य से तस्करी की जाती है।मानव तस्कर लोगों को वस्तु मानते हैं; ऐसी वस्तुएँ जिनका शोषण किया जा सकता है और लाभ के लिए उनका व्यापार किया जा सकता है। यूरोप में, अधिकांश दोषी तस्कर पुरुष हैं, हालाँकि अन्य अपराधों की तुलना में महिला अपराधियों का प्रतिनिधित्व अधिक है, क्योंकि कुछ गिरोह महिलाओं को पीड़ितों का विश्वास जीतकर उन्हें फँसाने में अधिक प्रभावी मानते हैं। हाल ही में सेंट्रल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (सीबीआई) ने भारत में मानव तस्करी से जुड़े एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। यह गिरोह नौकरी दिलाने के नाम पर भारतीयों को रूस-यूक्रेन युद्ध के क्षेत्र में ले जाते थे। जिसके बाद उन्हें रूस की तरफ से जंग लड़ने के लिए मजबूर किया जाता था। सीबीआई ने इस मामले को लेकर सात शहरों के 10 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान कई लोगों को हिरासत में लिया गया था। जानकारी के अनुसार सीबीआई ने कई वीजा परामर्श फर्मों और एजेंट्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। जांच एजेंसी ने सात शहरों में 10 से अधिक स्थानों पर कार्रवाई करते हुए तलाशी की। यह कार्रवाई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़, तिरुवनंतपुरम, अंबाला और मदुरई में की गई है। पुछताछ के बाद कई लोगों को हिरासत में लिया गया। इसके साथ ही एजेंसी ने 50 लाख रुपए सहित कई दस्तावेज, लैपटाप, मोबाइल, डेस्कटाप आदि इलेक्ट्रानिक रिकार्ड भी जब्त किए। जानकारी के लिए बता दें कि आकर्षक नौकरियों देने की आड़ में यह लोग बेरोजगार युवकों को झांसा देकर रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में भेजते थे। इस आरोप में सीबीआई ने कई वीजा कंसल्टेंसी फर्मों और एजेंट्स के खिलाफ मामला दर्ज किया। बता दें कि एजेंसी की जांच में अब तक 35 ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें भारतीयों को अच्छी नौकरियों का झांसा देकर विदेश भेजा गया है। इसके साथ अब तक दो ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जहां रूस की सेना की ओर से लड़ते हुए भारतीयों की मौत हो गई है। उन दोनों को भी नौकरा का झांसा देकर ही रूस ले जाया गया था। नौकरी का झांसे देकर इन लोगों को विदेश लेजाने के बाद जबरदस्ती यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए मजबूर किया जाता था। हालांकि अब तक विदेश भेजे गए युवकों में से कितनों को जंग में लड़ने को तैनात किया गया है, इसका आंकड़ा साफ नहीं हो पाया है। यह एजेंट्स न सिर्फ युवकों को झांसा देकर विदेश लेकर जाते थे, बल्कि उनसे पैसे भी लेते थे। ऐसी मानव तस्करी को रोकने के लिए सरकार के साथ – साथ समाज को भी चेतना होगा । सबसे पहले देश के नौजवानों और उनके माता-पिताओं को सावधान रहना होगा । सोशल मीडिया यू-ट्यूब, फेसबुक, इन्स्टाग्राम, ट्विटर या किसी भी प्लेटफॉर्म पर कोई नौकरी का ऑफर देता है, स्टूडेंट वीजा पर विदेश भेजकर वहां हर महीने लाखों रूपए कमाने का लालच देता है, तो बिल्कुल भरोसा मत कीजिए, वरना पैसा भी जाएगा और जान जाने की नौबत भी आ सकती है क्योंकि इसी तरह के वीडियो के चक्कर में फंस कर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे कई राज्यों के लड़के रूस पहुंच गए।सनद रहे कि ट्रैवल एजेंट्स, टूर ऑपरेटर्स और वीज़ा दिलाने के नाम पर लोगों को फंसाने का मानव तस्करी का ये नेटवर्क बड़े सुनियोजित तरीके से काम करता है। प्राइवेट वीजा कंसल्टेंसी की अलग अलग कपनियां सोशल मीडिया पर वीडियो, और यू-ट्यूब के ज़रिए, उन युवाओं से कनेक्ट होते थे जो विदेश में नौकरी करना चाहते हैं, फिर इन नौजवानों को बताया जाता था कि विदेश में उनके लिए नौकरियों के तरह तरह के ऑप्शन हैं। जैसे डिलीवरी बॉय, हेल्पर, डेटा ऑपरेटर वग़ैरह। रूस के बारे में ये एजेंट दावा किया जाता है कि युवकों को वहां जाकर बॉर्डर पर जाकर न टैंक चलाना है, न तोप के गोले दाग़ने हैं, इन कंपनियों के एजेंट रूस में भी मौजूद हैं। वो वहां से वीडियो बनाकर दिखाते थे कि रूस में हालात बिल्कुल नॉर्मल हैं, सेना मोर्चे पर है, लेकिन सिविलियन इलाकों में लाइफ नॉर्मल है और उनको सिविलियन इलाकों में काम करना है। ये एजेंट दावा करते थे कि ये सब काम करने के लिए युवकों को तीन महीने ट्रेनिंग दी जाएगी और पहले तीन महीने तक हर महीने 40 हज़ार रूपये सैलरी भी मिलेगी। तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद जब इन युवकों की पोस्टिंग होगी, तो उनकी सैलरी बढ़कर एक लाख रुपए प्रति महीना हो जाएगी। विदेश में बसने का सपना देख रहे पढ़े-लिखे नौजवान उनके झांसे में आ जाते थे और वो रूस जाने के लिए जैसे तैसे तीन लाख रुपए इकट्ठा करते थे लेकिन, जैसे ही ये युवक रूस पहुंचते थे, इन एजेंटों का असली खेल शुरू हो जाता था। उनसे रूसी भाषा में एक कॉन्ट्रैक्ट पर ज़बरन साइन कराया जाता था और बंदूक, राइफल चलाने की थोड़ी बहुत ट्रेनिंग देकर जंग के मोर्चे पर भेज दिया जाता था। जो लोग इसका विरोध करते थे, उनको 10 साल के लिए जेल में डालने की धमकी दी जाती थी। इस पूरे रैकेट में सबसे ज़्यादा चर्चा बाबा व्लॉग्स नाम के एक एजेंट की हो रही है। ये असल में दुबई में रहने वाले फ़ैसल अब्दुल मुतालिब ख़ान का वीडियो ब्लॉग है। सबसे ज़्यादा नौजवान इसी फ़ैसल अब्दुल मुतालिब ख़ान के वीडियो देखकर एजेंट्स के जाल में फंसे। इस बाबा व्लॉग के कई वीडियो अब भी सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं। ये फ़ैसल अब्दुल मुतालिब ख़ान दुबई की एक कंपनी में डायरेक्टर है। इस कंपनी का नाम बाबा व्लॉग्स ओवरसीज़ रिक्रूटमेंट सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड है। ये शख़्स रूस के अलग अलग शहरों से अपने वीडियो डालकर लोगों को यक़ीन दिलाता था कि रूस में सब कुछ नॉर्मल है, ऐसे में नौजवानों को वहां आकर नौकरी करने में कोई रिस्क नहीं है। इस ब्लॉगर ने दो दर्जन लड़कों को रूस भेजा लेकन जब रूस यूक्रेन की जंग में दो भारतीय नौजवानों की मौत की खबर आई तो हमारी सरकार और एजेंसीज एलर्ट मोड में आईं। धोखाधड़ी की ऐसी ही घटनाओं पर एक्शन लिया। सीबीआई ने इस तरह की 17 प्लेसमेंट एजेंसीज़ का पता लगाया। दिल्ली, मुंबई, अंबाला चंडीगढ़, मदुरै और चेन्नै समेत 13 जगहों पर छापेमारी की। सीबीआई ने 17 कंपनियों और उनके मालिकों पर केस दर्ज किया। दिल्ली में ओवरसीज़ फाउंडेशन और इसके निदेशक सुयश मुकुट के ख़िलाफ़ केस दर्ज हुआ है। ओवरसीज फाउंडेशन के ठिकानों पर रेड्स भी हुई हैं। ओवरसीज़ फाउंडेशन का ऑफ़िस दिल्ली में कस्तूरबा गांधी रोड पर अंबादीप बिल्डिंग में है। इसी तरह, सीबीआई ने मुंबई की ओएसडी ब्रदर्स ट्रैवल्स ऐंड वीज़ा सर्विसेज़ और इसके निदेशक राकेश पांडेय पर केस रजिस्टर किया। इसके ठिकानों पर रेड की, हालांकि राकेश पांडेय गिरफ़्त में नहीं आया। चंडीगढ़ और अंबाला की एडवेंचर वीज़ा सर्विसेज़ और इसके डायरेक्टर मंजीत सिंह के ख़िलाफ़ भी एक्शन हुआ। सीबीआई ने दुबई की बाबा व्लॉग्स ओवरसीज़ रिक्रूटमेंट सॉल्यूशंस और इसके निदेशक फ़ैसल अब्दुल मुतालिब ख़ान उर्फ़ बाबा के ख़िलाफ़ केस दर्ज किए हैं। सीबीआई के मुताबिक़, जबरन प्राइवेट आर्मी में भर्ती करने के कम से कम 35 मामले सामने आए हैं, अब सबकी जांच की जा रही है। सीबीआई की रेड में 50 लाख नक़द और कई इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस और कुछ वीडियो भी मिले हैं। बाबा व्लॉग के झांसे में आकर रूस गए हैदराबाद के एक युवक मुहम्मद आफशान की जंग लड़ते हुए मौत हो गई। उसे वापस भारत लाने के लिए अफ़शान के भाई ने हैदराबाद में असदुद्दीन ओवैसी से गुहार लगाई। ओवैसी ने विदेश मंत्रालय के साथ ये मसला उठाया। पिछले हफ़्ते अफ़शान के परिवार को उसकी मौत की ख़बर मिली। अफ़शान के भाई मुहम्मद इमरान अब अपने भाई की लाश वापस लाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। सूरत के हेमिल मांगुकिया भी अफ़शान की तरह मानव तस्करी करने वालों के चक्कर में फंसकर रूस गए थे। 21 फ़रवरी को यूक्रेन के एक ड्रोन हमले में हेमिल की मौत हो गई। भारत सरकार की कोशिशों का एक असर ये हुआ है कि रूस की सरकार ने मोर्चे पर फंसे भारतीयों को बॉर्डर से हटाना शुरू कर दिया है, उन्हें सुरक्षित इलाकों में भेजा जा रहा है लेकिन मुश्किल ये है कि जो भारतीय नौजवान रूस और यूक्रेन की जंग में फंस गए हैं, उन्हें जंग के मैदान में भेजने में न तो भारत सरकार की और न ही रूसी सरकार की कोई भूमिका है। ये लोग प्राइवेट एजेंट्स के चक्कर में फंसे और उन्हें प्राइवेट रशियन सशस्त्र ग्रुप के हवाले कर दिया जिनका रूसी सेना से कोई लेना देना नहीं। ये प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर्स हैं। इसलिए सरकार व समाज को पहले इन भारतीयों की पहले पहचान करनी पड़ेगी उनके ठिकानों का पता लगाना होगा। उसके बाद उनको सुरक्षित जगहों पर लाकर उन्हें भारत लाने की कोशिश होगी। ये काम बहुत मुश्किल है, इसलिए इसमें वक्त लगेगा। इसीलिए सरकार भी कह रही है और मैं भी अपील करूंगा कि विदेश जाने के चक्कर में प्राइवेट एजेंसियों और एजेंट्स के चक्कर में न फंसे। विदेश में बढ़िया सैलरी पर अच्छी नौकरी का कोई झांसा देता है तो उस पर यकीन न करें। बैकग्राउंड चैक करें। जिस देश में नौकरी की बात कही जा रही है। उसके दूतावास से संपर्क करें। सारे फैक्ट्स चैक करें। फिर अपने विदेश मंत्रालय के जरिए लीगल डॉक्यूमेंट्स के साथ ही विदेश जाएं। अगर टूरिस्ट वीजा या स्टूडेंट वीजा पर नौकरी का वादा करके विदेश भेजने की बात कहता है तो उस पर बिल्कुल यकीन न करें, क्योंकि इसमें पैसा भी जाएगा और जिंदगी भी खतरे में पड़ेगी। इसलिए सावधान रहें। सोशल मीडिया पर इस तरह के वीडियो और रील्स पर कतई भरोसा न करें,वरना मुश्किल में पड़ना तय है। अंत में खास बात यह है कि मानव तस्करी से लड़ना सिर्फ़ अधिकारियों की ज़िम्मेदारी नहीं मानी जानी चाहिए। आम लोग इस अपराध से निपटने में मदद कर सकते हैं, इसके बारे में जागरूक होकर और यह सुनिश्चित करके कि पीड़ितों की दुर्दशा अनदेखी न हो। ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप इस अपराध से निपटने में मदद कर सकते हैं और बदलाव ला सकते हैं। : - अशोक भाटिया, वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार