2024-12-31 15:11:56
पटना : बिहार में महिला सशक्तिकरण की चर्चा करते हुए जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासन काल में राज्य की महिलाएं राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक तौर पर सशक्त हुई हैं। साल, 2005 में सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक तौर पर समृद्ध करने के लिए कई क्रांतिकारी फैसले लिए। साल 2006 में उन्होंने पंचायती राज में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की। साथ ही साल 2007 में उन्होंने नगर निकाय में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने का काम किया। नौकरियों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने के लिए सरकार के सभी सरकारी सेवाओं/संवर्गों के सभी स्तर एवं सभी प्रकार के पदों पर सीधी नियुक्ति में महिलाओं को 35 प्रतिशत क्षैजि आरक्षण दिया गया। साथ ही प्राथमिक शिक्षकों के नियोजन/नियुक्ति में भी महिलाओं को 50 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया। महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर राज्य सरकार की कोशिशों के चलते साल 2001 की जनगणना में राज्य की महिलाओं की साक्षरता दर में 20 प्रतिशत की दशकीय वृद्धि दर्ज हुई, जिसके कारण बिहार को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। महिलाओं में साक्षरता दर में वृद्धि का सीधा प्रभाव जनसंख्या के स्थिरीकरण पर पड़ा। वर्ष 2005 में बिहार का कुल प्रजनन दर 4.3 था जो अब घटकर 2.1 हो गया। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि साल 2007 में बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन परियोजना यानी जीविका को प्रारंभ किया गया। जीविका के तहत स्वयं सहायता समूह में आच्छादित परिवारों की संख्या वर्तमान में 1 करोड़ 30 लाख हो गयी है एवं 10 लाख 47 हजार स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है। आज देश में सबसे ज्यादा महिला पुलिसकर्मियों की तादाद बिहार में है। बिहार देश का पहला राज्य है, जहां महिला पुलिस बटालियन का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासनकाल में सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत महिला अभ्यर्थियों को संघ लोक सेवा आयोग और बिहार लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा पास करने पर लिखित परीक्षा और साक्षात्कार की तैयारी के लिए राज्य सरकार द्वारा एक लाख रुपये और पचास हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है। संवाददाता : रमण श्रीवास्तव