2024-11-10 12:27:58
समस्तीपुर : जगद्गुरु स्वामी श्री कृपालुजी महाराज इस युग के पंचम मौलिक जगद्गुरु है । उन्होंने सिद्धांत की उंचाई और साधना की गहराई से सम्पूर्ण मानव समाज का मार्गदर्शन किया है। स्वामी श्री युगल शरण जी पिछले 24 वर्षों से सनातन सिद्धांत का प्रचार प्रसार भारत एवं विदेशों में कर रहे है। स्वामी जी ने ब्रज गोपिका सेवा मिशन की स्थापना की है। सन्यास से पूर्व स्वामीजी केंद्र सरकार के GSI(जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) में वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत थे। बिहार के सर्वांगीण विकास के लिए सन् 2005 में जगद्गुरु कृपालुजी महाराज की प्रेरणा से पूज्य स्वामीजी ने बिहार में प्रवचन हेतु आगमन किया| इससे पूर्व स्वामी जी बिहार में पटना, दरभंगा, कटिहार, पूर्णिया, बेगूसराय और लखीसराय में अपने दिव्य प्रवचनों से लाखों जीवात्माओं को दिव्य आनंद की ओर उन्मुख कर चुके हैं l पहले दिन के प्रवचन प्रारम्भ होने के पूर्व नगर निगम, समस्तीपुर के मेयर श्रीमति अनिता राम,वरीय महाप्रबंधक, BSNL, दरभंगा श्री विनोद गुप्ता, मुख्य अभियन्ता,जल संसाधन, समस्तीपुर श्री अशोक रंजन,श्री सचिंद्र झा,(SDO, BSNL), डॉ बीरेंद्र कुमार चौधरी (प्राचार्य,BRB कॉलेज, समस्तीपुर), ज्ञानेन्द्र शेखर(जिला कार्यक्रम प्रबन्धक,सदर हॉस्पिटल, समस्तीपुर),समाजसेवी बद्री गोयनका, श्रीमति सोनम गोयनका,पशु प्रेमी सह समाजसेवी महेंद्र प्रधान आदि ने श्रद्धेय स्वामी श्री युगल शरण जी का स्वागत पुष्प गुच्छ प्रदान कर एवं माला पहनाकर किया।जबकि अतिथि के रूप में श्री रजनीश कुमार (राष्ट्रीय सचिव,ABRSM)अधिवक्ता श्री सुरेंद्र झा(विभाग सम्पर्क प्रमुख,RSS)बीरेंद्र कुमार एवं जिला अध्यक्ष,ABRSM एवं अध्यक्ष चेतना सामाजिक संस्था,डॉ मिथिलेश कुमार आदि शामिल थे। प्रवचन में स्वामी जी ने सनातन शास्त्रों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सनातन धर्म विभिन्न धर्मों के विचारधाराओं को समाहित करता है। यह सभी धर्मों में एकता की भावना को दर्शाता है। इसकी अनूठी विशेषता है कि यह संपूर्ण, शाश्वत और समयातीत है। इसके प्रमुख शास्त्र हैं वेद, उपवेद, वेदांग, षड्दर्शन, निबंध, इतिहास (रामायण और महाभारत), पुराण, आगम और निगम। इस धारावाहिक प्रवचन में प्रारंभिक प्रश्नों के माध्यम से समाधान दिया जाएगा, जो सनातन शास्त्र सम्मत हैं यानि प्रस्थानत्रयी सम्मत हैं (श्रुति, स्मृति एवं नये) एवं साथ ही यह प्राच्य और पाश्चात्य दर्शनों का समन्वय करता है। साथ ही स्वामी जी ने मानव शरीर का महत्व बताते हुए कहा कि मानव शरीर आनंद प्राप्ति हेतु आत्म-ज्ञान, ब्रह्म-ज्ञान और उससे भी आगे जाकर भगवत प्राप्ति कर माया से पार जाने का साधन है। परंतु यह क्षणभंगुर हैं और करोड़ों कल्पों के बाद भगवत कृपा से मिलता है | एक कल्प में 432 करोड़ वर्ष होते हैं | साथ ही ये दुर्लभ मनुष्य शरीर अन्य जीवों की तुलना में विशिष्ट है, क्योंकि इसमें ज्ञान प्राप्त करने और कर्म करने का अधिकार है। मानव जीवन देव दुर्लभ हैं परंतु क्षणभंगुर है, इसलिए इसे व्यर्थ किए बिना आध्यात्मिक लक्ष्य को प्राथमिकता देना चाहिए। सभी जीव सुख की तलाश में हैं, जो केवल ईश्वर में ही पूर्ण हो सकता है। सांसारिक सुख सीमित हैं, जबकि ईश्वर का आनंद अनंत और शाश्वत है। और प्रत्येक जीव आस्तिक हैं भले ही वह स्वयं को नास्तिक कहे | कैसे?ये कल के प्रवचन का विषय हैं| आप सब भी इस प्रवचन शृंखला में आकर लाभ ले सकते है l स्थान: तिरहुत अकादमी मैदान, समस्तीपुर दिनांक: 9 से 24 नवंबर 2024