2023-08-18 15:55:39
किसी भी हाल में 2024 के आगामी लोकसभा चुनाव जीतने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की पूरी कोशिश है, जिसके लिए उनके साथ-साथ पूरी भारतीय जनता पार्टी की लॉबी दिन-रात लगी हुई है। बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी, भुखमरी के बाद अब मणिपुर और हरियाणा में दंगों को लेकर सवालों से घिरी केंद्र की मोदी सरकार को अच्छी तरह पता है कि उसे 2024 में जीत आसानी से नहीं मिलने वाली, इसलिए इसके लिए अपनी सभी ताकतें पूरी सूझ-बूझ के साथ झोंकनी होंगी। और मेरे ख्याल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के पास इसका पूरा मैप बना हुआ है कि उन्हें कैसे आगे की रणनीतियां तैयार करनी हैं, जिससे तीसरी बार भी वो केंद्र की सत्ता में रिकॉर्ड जीत के साथ पहुँच सकें।
अगर सियासी गलियारों में चल रही चर्चा की मानें तो इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह 300 से ज्यादा सीटों के साथ जीत का सेनेरियो तैयार कर रहे हैं, जो कि उनकी उम्मीद के मुताबिक जीत दिला सकता है। राजनीति के जानकारों की मानें, तो कहने को जेपी नड्डा भाजपा के अध्यक्ष हैं, लेकिन उनकी पार्टी में उतनी ही चल रही है, जितनी मोदी और अमित शाह चाहते हैं। हालांकि इस मामले को लेकर मुझे कुछ भी कहने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस मुद्दे पर सबके अलग-अलग विचार हो सकते हैं। लेकिन यह कहने में मुझे कोई गुरेज नहीं है कि कुछ राज्यों की बात छोड़ दें तो, मोदी-शाह की जोड़ी ने आज तक जो ठाना है, उसे हासिल करके ही दम लिया है। इसलिए भाजपा की अबकी बार 300 के पार वाली उड़ती हुई खबर को विपक्ष ने अगर यह सोचकर हल्के में लिया कि इस बार तो मोदी विरोधी लहर चल रही है, तो यह उसकी बड़ी भूल होगी।
अब अगर हम उत्तर प्रदेश की बात करें, जहां से केंद्र की सत्ता का रास्ता गुजरता है, तो वहां प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के लिए सबसे बड़ी चुनौती उत्तर प्रदेश की 80 की 80 सीटों पर जीत हासिल करना है। इसी को लेकर शायद गृह मंत्री अमित शाह जयंत चौधरी को साधने में लगे हैं, ताकि भारतीय जनता पार्टी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की दो दर्जन से ज्यादा लोकसभा सीटों पर आसानी से जीत हासिल हो सके। अगर जयंत एनडीए मे जाते हैं तो जैसा कि लगातार कयास लगाए जा रहे हैं, तो जो सीटें रालोद के पास होंगी, उससे कहीं अधिक सीटों पर भारतीय जनता पार्टी की जीत पक्की होगी। इसके अलावा यह भी देखना होगा कि उत्तर प्रदेश के जिन दलों को भारतीय जनता पार्टी अपने फायदे के लिए अपने साथ लाना चाहती है, अगर वो उसके साथ नहीं आते हैं, तो मोदी-शाह की जोड़ी किस तरह उनसे निपटने का काम करेगी।
दरअसल, राजनीतिक विश्लेषकों और जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बढ़ती ताकत देखकर बहुत बेचैन हैं। इसलिए माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ पर निर्भरता कम करने, अखिलेश यादव का प्रभाव सीमित करने और जाटों को साधने के लिए एक बड़ी चाल चल सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक़ इसके लिए मोदी-शाह के पास उत्तर प्रदेश का तीन राज्यों में विभाजन कर पश्चिम यूपी में किसी जाट नेता को और पूर्वांचल में योगी को 25-26 लोकसभा वाले राज्य का मुख्यमंत्री बनाने का सुझाव आया है। माना जा रहा है कि इस एक तीर से योगी की ताकत और उनके ऊपर भाजपा की निर्भरता को सीमित किया जा सकता है। साथ ही समाजवादी पार्टी यानि सपा और राष्ट्रीय लोकदल यानि रालोद को भी हाशिए पर धकेला जा सकता है। माना यह भी जा रहा है कि इससे देश भर में जाटों की नाराजगी को काफी हद तक दूर कर, जाट राजनीति को साधा जा सकता है, जिसका लाभ राजस्थान, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिलेगा।
राजनीति के जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के बंटवारे में कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी यानि बसपा की भी मौन सहमति मिल सकती है। बसपा प्रमुख मायावती तो पहले से ही इस पक्ष में हैं कि उत्तर प्रदेश का बंटवारा कर दिया जाए और इसके लिए उन्होंने खुद के मुख्यमंत्री रहते हुए कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार को प्रस्ताव भी भेज दिया था। हालांकि इसके बाद से कई बार उत्तर प्रदेश को कभी चार हिस्सों में, तो कभी तीन हिस्सों में बांटने की बात उठती रही है, लेकिन अभी तक यह कदम केंद्र सरकार ने नहीं उठाया। हालांकि उस समय वह खबर सच साबित नहीं हुई थी लेकिन इस समय यह चर्चा जोरों पर है कि केंद्र की मोदी सरकार उत्तर प्रदेश के चार हिस्से करने के मूड में हैं। हालांकि प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले भी इस प्रकार की चर्चा चली थी। लेकिन अभी चर्चा को इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी के लिए उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीट अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
याद रहे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा अपने चौकाने वाले फैसलों के लिए जाने जाते हैं। इसलिए यह भी नहीं कहा जा सकता कि उत्तर प्रदेश अखंड ही रहेगा। राजनीति जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री का जीत का गणित अगर उत्तर प्रदेश में फिट नहीं बैठा, तो वो उत्तर प्रदेश के बंटवारे का निर्णय लेकर सभी को अचानक चौंका भी सकते हैं। लेकिन वहीं कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि ऐसा अभी नहीं होगा, क्योंकि जिस बात को लेकर यह चर्चा है, वो यह है कि योगी आदित्यनाथ कहीं प्रधानमंत्री पद की दावेदारी न ठोंक दें, जो कि अभी संभव नहीं है। राजनीति के जानकारों के इस खेमे का साफ कहना है कि अभी इस बार भी केंद्र की दावेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही रहेगी और योगी फिलहाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ही बने रहेंगे। लेकिन जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगेगा कि उनकी कुर्सी पर योगी आदित्यनाथ की दावेदारी हावी हो रही है, तो वे ऐसा करके अचानक सभी को चौंका सकतें हैं।
बहरहाल, अभी जो राजनीतिक हालात चल रहे हैं और जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी के ये दो दिग्गज (मोदी-शाह) हर राज्य की लोकसभा सीटों के जोड़-तोड़ के गणित में लगे हैं कि किस तरीके से सभी राज्यों में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की जाए, वहीं वें किसी भी हाल में उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटें जीतने की कोशिशों में हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि राज्यों में जहां भी भारतीय जनता पार्टी की सरकारें नहीं हैं, वहां सभी सीटें निकाल पाना आसान नहीं होगा। ऐसे में 2019 की तर्ज़ पर उत्तर प्रदेश की 80, मध्य प्रदेश की 29, गुजरात की 26, राजस्थान की 25, असम की 14, हरियाणा की 10, उत्तराखंड की 5 सीटों में से ज्यादातर सीटें जीत ली जाएं, जिससे केंद्र में 200 का आंकड़ा पार हो सके। बाकी 70 से 80 सीटें अन्य राज्यों से बटोरी जा सकती हैं। लेकिन सवाल यही है कि क्या मोदी उत्तर प्रदेश को बांटकर राजनीतिक लाभ उठाते है या नही? अगर मोदी ऐसा करते हैं तो उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी योगी, अखिलेश और जयंत चौधरी तो टिकाने लगेंगे ही साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें बड़ी जीत हासिल हो सकती है।
- के. पी. मलिक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)